प्रयागराज कुंभ मेला:

कुंभ मेला 2023

प्रयागराज कुंभ मेला: एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव

  • प्रयागराज कुंभ मेला – जिसे संगम मेला भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है। यह मेला हर 12 वर्षों में आयोजित होता है और इसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह मेला गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम पर आयोजित होता है,कुम्भ मेला हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुम्भ पर्व स्थल प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में एकत्र होते हैं और नदी में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति १२वें वर्ष तथा प्रयाग में दो कुम्भ पर्वों के बीच छह वर्ष के अन्तराल में अर्धकुम्भ भी होता है। २०१३ का कुम्भ प्रयाग में हुआ था। फिर २०१९ में प्रयाग में अर्धकुम्भ मेले का आयोजन हुआ था।

कुंभ का इतिहास

कब और कैसे?

प्रयागराज कुंभ मेले का इतिहास प्राचीन है। मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों ने अमृत कलश की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था, तब चार स्थानों पर अमृत की बूँदें गिरी थीं। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। विभिन्न पुराणों और अन्य प्राचीन मौखिक परम्पराओं पर आधारित पाठों में पृथ्वी पर चार विभिन्न स्थानों पर अमृत गिरने का उल्लेख हुआ है। सर्व प्रथम आगम अखाड़े की स्थापना हुई कालान्तर मे विखण्डन होकर अन्य अखाड़े बनेप्रयागराज के “अर्धकुम्भ के दौरान 30 जनवरी के स्नान दिवस को 2 करोड़ लोगों की उपस्थिति। प्रयागराज का कुम्भ 14 जनवरी से 10 मार्च 2013 के बीच आयोजित किया गया। यह कुल 55 दिनों के लिए था, इस दौरान इलाहाबाद (प्रयागराज) सर्वाधिक लोकसंख्या वाला शहर बन जाता है। 5 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में 8 करोड़ लोगों का उपस्थित होना विश्व की सबसे अद्भुत घटना है।

कुंभ मेला 2025 में आयोजित होगा। इसमें धार्मिक अनुष्ठान, साधु-संतों से जुड़े कार्यक्रम और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं और अपने पापों को धोते हैं।

क्या देखें?

प्रयागराज कुंभ मेला:

1.त्रिवेणी संगम: यह वह स्थान है जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है। यह एक धार्मिक स्थल है और यहां स्नान करने का विशेष महत्व है।

2.आलंबाग: यह जगह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान है। यहां आप प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।

3.इलाहाबाद किला: यह किला मुग़ल सम्राट अकबर द्वारा बनवाया गया था और इसकी वास्तुकला अद्भुत है। यहां से गंगा का दृश्य अत्यंत मनमोहक

4.प्रयागराज विश्वविद्यालय: यह विश्वविद्यालय भारतीय शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी वास्तुकला और पुस्तकालय अद्भुत हैं।

संस्कृति और त्योहारसंस्कृति

प्रयागराज की संस्कृति विविधता से भरी है। यहां विभिन्न त्योहारों का धूमधाम से मनाया जाता है, जैसे माघ मेला, दीपावली, होली और ईद। इन त्योहारों में लोग एक साथ मिलकर खुशी मनाते हैं।

निष्कर्ष

प्रयागराज कुम्भ मेला:
प्रयागराज कुम्भ मेला

प्रयागराज सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक अनुभव है। इसकी धार्मिकता, संस्कृति और इतिहास इसे एक अद्वितीय स्थान बनाते हैं। अगर आप कभी भी भारत के उत्तर प्रदेश में हों, तो प्रयागराज अवश्य आएं और इस खुबसूरत शहर की जादूई दुनिया का अनुभव करें।

पौराणिक कथाएँ

कुम्भ पर्व के आयोजन को लेकर दो-तीन पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैंइस कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के शाप के कारण जब इन्द्र और अन्य देवता कमजोर हो गए तो दैत्यों ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया। तब सब देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास गए और उन्हे सारा वृतान्त सुनाया। तब भगवान विष्णु ने उन्हे दैत्यों के साथ मिलकर क्षीरसागर का मन्थन करके अमृत निकालने की सलाह दी। भगवान विष्णु के ऐसा कहने पर सम्पूर्ण देवता दैत्यों के साथ सन्धि करके अमृत निकालने के यत्न में लग गए। अमृतप्राप्ति के लिए देव-दानवों में परस्पर बारह दिन तक निरन्तर युद्ध हुआ था अतएव कुम्भ भी बारह होते हैं। उनमें से चार कुम्भ पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ कुम्भ देवलोक में होते हैं, जिन्हें देवगण ही प्राप्त कर सकते हैं, मनुष्यों की वहाँ पहुँच नहीं है।

  •  विशेष दिन
  • मकर संक्रान्ति
  • पौष पूर्णिमा
  • एकादशी
  • मौनी अमावस्या
  • वसन्त पंचमी
  • रथ सप्तमी
  • माघी पूर्णिमा
  • भीष्म एकादशी
  • महाशिवरात्रि

आधुनिक प्रभाव:

  • हालांकि कुम्भ मेला का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन आधुनिक तकनीकी यंत्र जैसे मोबाइल एप्स, जीपीएस, और लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाई गई है।

कुम्भ मेला से स्थानीय व्यापार, पर्यटन और होटल उद्योग को भी काफी लाभ होता है।

आगामी कुम्भ मेला:

अगला प्रयागराज कुम्भ मेला 2033 में आयोजित होगा, हालांकि बीच-बीच में अन्य स्थानों पर भी कुम्भ से संबंधित छोटे धार्मिक आयोजनों का आयोजन होता है। कुम्भ मेला न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में हिंदू धर्म की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है।

प्रयागराज कुंभ मेला:

. समय:

कुंभ मेला 12 साल के अंतराल पर आयोजित होता है, और हर 6 साल में अर्धकुंभ मेला (अर्ध कुंभ) का आयोजन होता है।

मेला का आयोजन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विशेष ग्रहों की स्थिति के आधार पर तय किया जाता है, जिसमें गुरु, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति महत्वपूर्ण होती है।

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